जीएसटी (GST) वरदान या अभिशाप

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जीएसटी (GST) वरदान या अभिशाप

1 जुलाई 2017 से लागू होने वाले वस्तु एवं सेवा कर (GST) के लगभग दो साल पूरे होने को हैं लेकिन अभी तक सबके लिए ये एक प्रश्न है कि GST देश के लिए वरदान है या फिर अभिशाप? वैश्वीकरण और हरित क्रांति के बाद जीएसटी देश में सबसे बड़ा परिवर्तन है. आज हर कोई जीएसटी के बारे में बात कर रहा है और थोड़ा बहुत इसके बारे में जनता भी है।

जीएसटी (GST) है क्या? जीएसटी (GST) भारतीय सरकार द्वारा टैक्स में सुधार करने के लिए किया गया एक बड़ा प्रयास है। जीएसटी यानी गुड्स एंड सर्विस टैक्स है जो कि भारत सरकार द्वारा अप्रत्यक्ष तरीके से लिया जाता है। यह वस्तुओं और सेवाओं पर लगने वाला टैक्स है।
जीएसटी (GST) को लागू किए जाने के बाद इसके फायदे-नुकसान के बारे में चर्चा होती रही है। पहले कई सारे टैक्स होते थे जैसे सर्विस टैक्स, VAT वगैरह। हर लेवल पर टैक्स लगता था जबकि अब कैटेगरी के हिसाब से एक टैक्स तय कर दिया गया है।

क्या हैं जीएसटी (GST) के फायदे?

1. एक देश एक कर: जीएसटी (GST) लगभग एक दर्जन करों की जगह पर लगाया गया एक कर (टैक्स) है। पहले सभी राज्यों में एक सामान पर अलग अलग टैक्स रेट होता था लेकिन जीएसटी (GST) में पूरे देश में एक सामान पर टैक्स रेट एक ही है।

2. कर सीमा (TAX SLAB) को बढ़ाना: पहले की व्यवस्था में 5 लाख से ज्यादा के टर्नऑवर वाले किसी भी बिज़नेस को वैल्यू ऐडेड टैक्स (VAT) चुकाना होता था। ये सभी राज्यों में अलग अलग था। सीमा (Limits) 5 लाख से 20 लाख तक था। 10 लाख से ऊपर टर्नओवर वाले सर्विस प्रोवाइडर्स को सर्विस टैक्स (SERVICE TAX) चुकाना होता था।
जीएसटी (GST) में ये सीमा (Limits) 20 लाख तक थी अब इसे 40 लाख कर दिया गया है। ये पहले की वैट व्यवस्था से लगभग 8 गुना है और पहले की सर्विस टैक्स व्यवस्था से 2 गुना है। जिससे छोटे व्यापारी और सर्विस प्रोवाइडर्स को बड़ी राहत मिली है।

3. पंजीकरण की प्रक्रिया (REGISTRATION PROCESS) में आसानी: पहले किसी भी बिज़नेस को VAT में रजिस्ट्रेशन करना सबसे बड़ी समस्या थी। राज्यों में अलग अलग नियम थे। कुछ राज्यों में तो वैट रजिस्ट्रेशन करने में एक महीना तक लग जाता था और डिपार्टमेंट के चक्कर लगाने पड़ते थे। कुछ राज्यों में सिक्योरिटी के नाम पर पैसे डिपॉजिट करना होता था। ये डिपॉजिट अमाउंट 10 हजार से 1 लाख तक होता था। ऊपर से प्रोफेशनल फीस और अलग बहुत खर्चे थे। अगर बिज़नेस में मनुफैक्चरिंग, सेल और सर्विस सब है तो उसे एक बिज़नेस के लिए बहुत सारे अलग अलग रजिस्ट्रेशन कराने होते थे, जैसे VAT, SERVICE TAX, EXCISE इत्यादि।
जीएसटी (GST) में रजिस्ट्रेशन प्रोसेस को बहुत ही सरल बनाया गया है। पूरे देश में रजिस्ट्रेशन का एक ही नियम है। बिना डिपार्टमेंट गए आप 10 दिन के अंदर GST रजिस्ट्रेशन करा सकते है। ये पूरा प्रोसेस ऑनलाइन है और कोई सिक्योरिटी भी नहीं देनी पड़ती। कोई रजिस्ट्रेशन फीस नहीं है और सिर्फ एक रजिस्ट्रेशन से आप मैनुफैक्चरिंग, सेल और सर्विस सब कर सकते हैं।

4. टैक्स दर और टैक्स फाइलिंग (TAX RATE & RETURN FILING) में राहत: छोटे व्यापारियों और करदाताओं को टैक्स दर और टैक्स फाइलिंग में राहत मिली है। जीएसटी के अंतर्गत छोटे व्यापारी (40 लाख -1.5 करोड़ टर्नओवर) को कंपोजिशन स्कीम का लाभ लेने पर सिर्फ सिर्फ सेल पर 1% टैक्स देना होता है। ये कंपोजिशन स्कीम सर्विस प्रोवाइडर्स के सीमा (Limits) 50 लाख तक है और टैक्स रेट 6% है। कंपोजिशन स्कीम का लाभ लेने पर टैक्स और टैक्स फाइलिंग त्रैमासिक (Quartly) करना होता है। GST Council टैक्स फाइलिंग को वार्षिक (Annualy) करने पर विचार कर रही है जो छोटे व्यापारियों के लिए बहुत ही सरल हो जायेगा।

5. प्रवेश कर (ENTRY TAX) और FORMS सबसे मुक्ति: पहले की व्यवस्था में एक राज्य से दूसरे राज्य सामान भेजने में बहुत सारी परेशानियां थी। बहुत सारे Forms (C Form, D Form, E Form, H Form, Form 38, इत्यादि) प्रबंध करने होते थे और ये सभी राज्य अपने अपने तरीके से डिमांड करते थे। कोई एक नियम नहीं था। ये Forms Manage करना और Compliance Manage करना बहुत ही कठिन काम था। कुछ राज्यों में प्रवेश कर भी लगता था।
जीएसटी (GST) में इस सभी Forms और प्रवेश कर को समाप्त कर दिया गया है. जीएसटी में एक राज्य से दूसरे राज्य में सामान भेजने पर सिर्फ एक ही फॉर्म की अब्श्कता होती है वो है E-Way Bill, जो की बड़ी आसानी से ऑनलाइन डाउनलोड किया जाता है।

6. आसान ONLINE प्रक्रिया: जीएसटी (GST) की पूरी प्रक्रिया प्रणाली को ऑनलाइन बनाया गया है, ताकि उपयोगकर्ता के लिए आसानी हो और वह बाहरी बेकार चक्करों में ना उलझे और डिपार्टमेंट के चक्कर न लगाना पड़े। अब कम्पनियां एक एम्प्लाई या एक प्रोफेशनल को हायर कर अपने ऑफिस से ही किसी भी राज्य का काम आसानी से कर रही हैं जो पहले मुमकिन नहीं था। पहले कंपिनयों को सभी राज्यों के लिए अलग-अलग प्रोफेशनल को हायर करना पड़ता था।

क्या हैं जीएसटी के नुकसान:

1. लागत में वृद्धि: जीएसटी (GST) से छोटे व्यापार का खर्च थोड़ा बढ़ गया है। एक तो मंथली रिटर्न फाइल करना, बिलिंग सॉफ्टवेयर के कुशल उपयोग के लिए सॉफ्टवेयर की खरीद और कर्मचारियों के प्रशिक्षण भी लागत में वृद्धि का कारण बनते हैं।

2. जीएसटी (GST) अनुपालन: छोटे और मध्यम व्यापार में वस्तु एवं सेवा कर व्यवस्था की बारीकियों को समझना। डिजिटल रिकॉर्ड का रखरखाव अनुरूप होना चाहिए। अगर वस्तु एवं सेवा कर शिकायत चालान जारी किया है तो उसमें अनिवार्य विवरण होना चाहिए, जैसे आपूर्ति की जगह, एच.एस.एन. कोड आदि।

3. जीएसटी RETURN FORMS अपडेट नहीं होना: जीएसटी (GST) को लागू हुए दो साल पूरे होने को हैं लेकिन अभी तक इसका Return Forms अपडेट नहीं है और इसका पूरा Return अभी तक नहीं भरा जा रहा है। ये सबसे बड़ी समस्या है। इससे छोटे व्यापारियों की समस्या बढ़ती जा रही है। अभी तक Purchase का Return नहीं भरा जा रहा है, जिससे इनपुट क्रेडिट मिलान करने में बहुत समस्या होती है। और इससे सरकार का भी नुकसान हो रहा है। उसके पास सही डिटेल्स नहीं जा रही है।

निष्कर्ष:

बदलाव कभी भी आसान नहीं होता है और ना ही रातों रात कोई तब्दीली आती है। सरकार जीएसटी (GST) को सुगम बनाने की भरपूर कोशिश कर रही है। बहुत चीजों को आसान बनाया गया है, लेकिन बहुत सारे चैलेंजेज अभी भी हैं। अभी तक 1000 से ज्यादा Amendment आ चुका हैं और इतना Amendment को याद रखना न तो किसी PROFESSIONAL की बस की बात है और न ही किसी TAX OFFICER की। इसलिए सरकार को और आसान तरीके खोजने होंगे जिसके तहत जनता को जीएसटी की उपयोगिता का पता चले। सरकार को एक ROADMAP बनाना होगा कि वो अगले 5 साल तक जीएसटी में क्या सब परिवर्तन कर रही है जिससे लोगों को पता रहे की आगे क्या परिवर्तन होने वाला है। पर इस बात का भरपूर यकीन है कि एक दिन अच्छे परिणाम आएंगे। कुछ समस्याओं को छोड़कर ये कहा जा सकता है की जीएसटी (GST) देश के लिए एक वरदान है ना कि अभिशाप।

/ Finance

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About the Author

Income Tax & GST Consultant
B.Com (H), has done Management Program from IIM Calcutta. He has more than 10 years of experience in financial services and administration. He is expert of tax analysis work. He heads Income Tax and GST Division of the JFS Group.

Comments (7)

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